दागोंदाग हो गई ---पथिक अनजाना—527 वीं पोस्ट
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असत्य दुनिया व बातें असत्य अपने व बरातें
असत्य इतिहास व नियम कानून
एंव मुलाकातें
असत्य संपत्ति पद नाम सब असत्य कहलाते
नीवं असत्य महल असत्य पर वजूद असत्य का
नैन सजल ले परेशी इंसा खोया भ्रामक गलियारों में
पूछती आत्मा कहाँ आ असत्यों में भटकती खो गई
चली थी पूंजी सदकर्मों की कमाने मैं दागोंदाग हो गई
दागों को मिटाने जाने कितने जन्मों तक आना होगा
बच गई किसी तरह दागों से गर मैं खाते चुका दूंगीं
पनाह राह की न देवे समझ कोई बहुत परे की बात हैं
पथिक अनजाना
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-03-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
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