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शनिवार, 22 मार्च 2014

भारत माता की आवाज - हिंदी

भारत माता की आवाज – हिंदी

जब भारत स्वंतत्र हुआ तो हिंदी राष्ट्र भाषा के रूप में अपनाई गयी
इसको शिक्षा,धर्म,साधारण बोलचाल के रूप में हर क्षेत्र में पहुचाई गयी|
जिन्होंने स्वंत्रता के लिए अपने निजी सुख का बलिदान कर दिया
उन्होंने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए अंग्रेजी का अपमान किया|                            
मेरा भारत स्वंत्रता के बाद ऐसे बोले कि सारा जग सुनता रह जाये
उनके उत्तराधिकारी अंग्रेजी के ऐसे दीवाने कि नक़ल वर्णन किया किया जाये|
अंग्रेज कहते हैं कि उनके पूर्वज तो बन्दर हैं
किन्तु नक़ल का गुण तो हिन्दुस्तानियों के अन्दर है|
चले गये अंग्रेज यहाँ से खेल खून का खेल के
पर हिन्दुस्तानी बेठे हैं उनकी गन्दगी लपेट के|
यदि नकल का मन है तो महानायक की नकल करो
हर कर्म से पहले उसके परिणाम पर गौर करो|
अंग्रेजी सिखने के चक्कर में अंग्रेजो का चरित्र पड़ते हैं
अंग्रेजो की नकल में स्वंय को सबसे अलग समझते हैं|
अंग्रेजो के ह्रदय से पूछो क्या वो अपने समाज, जीवन से प्रसन्न हैं
यदि हाँ तो हमारे अतीत कि गौरवगाथा के लिए क्यों मरणासन्न हैं?
हमारे पूर्वजो के बारे में जानने के लिए भारत कि आत्मा की आवाज को बुलंद करते हैं
 वो भी उनकी तरह उच्च चरित्र,जीवन के सुखमय अंत को हमारे साहित्यों में पढ़ते हैं|
वो हमारी विरासत कि नकल करने के लिए लालायित हैं इसमें उनका दोष नहीं
उनके पास ऐसे पूर्वज, इसी ज्ञान की गंगा नहीं इसलिए मुझे उनसे कोई रोष नहीं
यह रोष तो मुझे हिन्दुस्तान के उत्तराधिकारियो से है
देश में रहकर इसकी जड़ अलग होकर इठलाने वालो से है|
वो हमारे पूर्वजो के चरित्र कि नकल करते हैं इसमें आश्चर्य नहीं
किन्तु हम तो ब्रम्हा के पुत्र मनु की संतान हैं इसमें दो राय नहीं|
फिर नकल करने लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति क्यों नहीं अपने जीवन में बुनते
सब पर राज करने वाली राह को छोड़ बुद्धिहीनो कि तरह क्यों अनुचित राह को चुनते
मै ये नहीं कहती कि सुखमय जीवन के लिए प्रयास न करो
किन्तु प्रयास से पहले परिणाम पर ध्यान तो अवश्य करो|
जिस अतीत के खजाने के कारण हम हिन्दुस्तानी संसार में आदर पाते हैं
उस अतीत के साक्षात् दर्शन कराने वाली मधुर वाणी को क्यों दबाते जाते हैं|
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा सही राह पकड़ लो
इसको अपनाकर जीवन को कीर्तिमान कर लो|




  


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