जैसा जी चाहे यारों वैसी जिन्दगी तुम जी लो
कोई क्या
कहेगा यह कडवा घूट तुम पी लो
खुदा व दुनिया का ताउम्र कहीं वजूद नही देखा
खोई यह जिन्दगी दोनों ने खिंची लक्ष्मण रेखा
क्या बुरा रावण गर अशोकवाटिका में ठहरावेगा
प्रतीक्षा राम
की उपहास उपहार नही बरसावेगा
सोचो रावण व
कौरवों में श्रेष्ठ कौन कहलावेगा
खुदा जग रावण
कौरवों को सत्ता हेतू लडने दो
जो जी में पथिक अनजाना के आया कहने दो
इक किरण चमकती हैं जिसे राहे कर्म कहते हैं
मानो यही सत्य करो सफर जिन्दगी का मीलों
जैसा जी चाहे यारों वैसी जिन्दगी
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पथिक अनजाना
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।