आमन्त्रित करे यार-पथिक अनजाना—525 वीं पोस्ट
समस्त सुखों व शांति प्राप्ति का एक ही व्दार हैं
दर जो बहुत ही छोटा सकरा आमन्त्रित करे यार
पार जो हो स्वर्गीय आन्नद पा जावे वह भरमार
मानें खुद को मेहमान गर यहाँ आप तो
बहार हैं
जब इसे मजबूती से बांधें पहुंचाये वैतरणी पार हैं
मेहमान बनोगे तो संतोष ,संतोष तो होश
रहेगा
होश में रहोगे तो तुम सन्तुष्टि जहाँ
में पावोगे
जब संतुष्टि होगी स्वत: इर्ष्या से दूर हो जावोगे
यह मंजिल तुम्हें खीझ तनाव से दूर ले जावेगी
खीझ तनाव स्वर्गीय आन्नद में जी न सकते हैं
हंसोगे सपरिवार पथिक अनजाना को हंसावोगे
क्या मेरे साथ तुम इस व्दार से निकलना चाहोगे?
पथिक अनजाना
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