मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

मंगलवार, 25 मार्च 2014

चर्चा करें जो कारक हैं –पथिक अनजाना---526 वी.पोस्ट




 चर्चा करें जो कारक हैं –पथिक अनजाना---526 वी.पोस्ट
                                                

रोम रोम चित्कारता वह भी देख लिया  दुनिया में
जहाँ प्रेम शांति आनन्द छाया वहाँ भी वहशी काया
सत्ता के लोभी पाखण्डी इंसान धारते वहशी काया
पुत्र पिता की क्या कहें माँ जान हर लेती पुत्र की हैं
सुना पत्नियाँ आगोश में गैरों के खेलती जी लेती हैं
सेवक जनता  के बनते वंशवाद को  वे सहलाते हैं
सर्फ हिन्दोस्तां मै ऐसा देखा जहाँ नेता ऐसे होते हैं
मूर्ख जनता चुनती जिन्हें रछक ही भक्षक बनते हैं
देखी न ऐसी जनता जो इनको सिंहासन पहुंचाती हैं
कैसे कहते योनि इंसा विचारक ये प्रकृति संहारक है
कवियों सावन के अन्धे न बनो जगावो जो विचारक
कवि बुढिजीवी चर्चामंच पर चर्चा करें जो कारक हैं
पथिक अनजाना नही मास ऋतु गाता धुनिया में रे
रोम रोम चित्कारता यारों देख ली वहशी दुनिया रे
पथिक अनजाना



1 टिप्पणी: