करीब
ले आती हैं दिल से मांगी गई माफियाँ
कबूल
दुनिया में क्या महफिलैं सुकर्मों में भी
बाइज्जत
स्थान पाती यह बांटी गई माफियाँ
न
यह सोचना तुम्हें नही मिली कभी माफियाँ
गर
जुबां पर हो हर पल मस्त करें यह टाफियाँ
शायद
ताउम्र मान न पा सको पर यकीं पावोगे
वक्त
कभी आवेगा जब पूज्यनीय कहलावोगे
याद
मुझे भी करोगे गर बात सिरमाथे लगावोगे
पथिक
अनजाना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें