मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

आगामी पाँच वर्षों तक—पथिकअनजाना—579 वीं पोस्ट




आश्चर्य भरी दुनिया के हरअंग निवासियों में आश्चर्य समाया हैं
कृत्य सारे जीवों के आश्चर्यपूर्ण रंग रूप आकार प्रकार आश्चर्य भरे
इंसान आश्चर्य पूर्ण प्राणी कहलाता वैसा ही आश्चर्य पूर्ण विधाता
इंसानी इकाई में रचियता मां निर्दोष दोष सारे कर्ता के हिस्से में
संतान गलत तो भी दोषी पिता परिवारकर्ता होने के नाते मानते हैं
माँ मासूम है बेचारी बच्चों को बचाती हैं सो दोषी पिता जानते हैं
विडम्बना खुदा भी नही अछूता कार्य संपन्न योग्यता मेरी
गर असंपन्न ,अवरोधित तो खुदा नही सुनता हैं ही कहाँ ?
माँ मासूम है दोषों हेतू  रहती सदैव पिता के नाम की धूम
नही जान पाते हम जाने क्यों अन्याय हर कृत्य में आया हैं
लुटेरों के प्रदर्शनीय विचार व्यवहार संहिता मे स्थान न पाया
आगामी पाँच वर्षों तक स्थिति यथावत का आदेश थमाया
पथिक अनजाना



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें