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बुधवार, 9 अप्रैल 2014

पतझर हाइकु


1

हुई खामोशी

पतझर- सी पीली

घूमे अकेली ।

2

ख्‍़वाबों के रंग

क्‍यों हुए बदरंग

बूझो पहेली 

3

वो ठूँठ बना

करता इंतजार-

आए बहार।

4

वक्‍त सीखता-

रंगों की पहचान

बन सुजान।

5

बदले चाल

पतझर के बाद

आये बहार।

6

बदले रंग

जीवन व मौसम

क्‍यों संग- संग। 

7

टूटे पत्तों- सी

जिन्‍दगी की कड़ियाँ

टूटीं- बिखरी।

8

ये एतबार-

यूँ मिलेगी बहार

हो नया प्‍यार ।

9

वक्‍त- आईना

कभी न घबराना

चलते जाना।

10

अपना साया

इंद्रधनुष बन

बदले रंग।



4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-04-2014) को "टूटे पत्तों- सी जिन्‍दगी की कड़ियाँ" (चर्चा मंच-1578) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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