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गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

जिसने नाम खुदा का---पथिक अनजाना—590 वीं पोस्ट



शुक्र मनाये वो खुदा जमीन पर उतारे गये सारे ही जीवों में
एक जीव ऐसा निकला जिसने नाम खुदा का रोशन किया
वह इंसान हैं भले ही जमात इसमें जयचन्दों की शामिल हैं
इन्होंने खौफ खुदा का चर्चित कर खुदा का डंका बजाया हैं
गर यह जयचन्द न होते तो खुदा  नाम तेरा कौन लेता
माना तेरे नाम की आड में फले फूले बहार व व्यापार हैं
शुक्र मनाता खुदा तभी जयचन्दों का शायद रखता ध्यान
वर्ना वन में जो फूले खुश्बूदार फूल की महक कौन जानता
वैज्ञानिक कहते प्राकृतिक प्रर्किया ब्रम्हाण्ड संचालित करती
जयचन्द  कहते सब होता घटित ब्रम्हाण्ड में तेरी माया हैं
विचारक कहते कर्मों से बनी हर इंसानी जीवन कहानी हैं
दुकाने,पोथियाँ सब सजाये पथिक की सोच अनजानी हैं

पथिक अनजाना

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