दोराहे पर ला खडा करता समाज हर इंसान को
इक ओर तो कहे स्वहित
सर्वोपरि हैं संसार में
देता शिक्षा भाषण बन्दों को
छोड खुदा पर सब
हुक्मुदिली करे इंसा तो
बेचारा दुत्कारा जाता हैं
पूछे गर सवाल खुदा के वो
नास्तिक कहलाता हैं
ग्रन्थ सभी पुकारते बस याद
खुदा को किया करो
मानो खुदा खुदा न रहा जमी का डान हो गया
सेवा जमीनी डान की करे तो
यकींनन आ जावेगा
खुदा तक आवाज पहुंचे जिस पर
हमें यकीन नही
सभी लाइनें व्यस्त पर मेल
तो पहुंच ही जावेगा
मोबाइल आकाशी डान के संपर्क
क्षेत्र से बाहर हैं
पथिक अनजाना
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