कहते लोग मिले हैं—पथिकअनजाना—582 वीं
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मितभाषी क्षमाकर्ता जमीन पर
वो एक सुखद महकते संस्कारी
परिवार के बागवां कहलाते
हैं
स्वहित त्यागने मे समर्थ
होते
हम सब आदर्श मानवीय बस्ती
के संयोजक नाम से दर्ज होते
वारिस अनेकों खुशियाँ पा
जाते
अमर होती सदभावना की बहार
कहते लोग मिले हैं दो
समझदार
पथिक अनजाना
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