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बुधवार, 30 अप्रैल 2014

क्या बुरा सौदा हैं ?-पथिकअनजाना—594 वीं पोस्ट



जब किसी के दिल पर किसी की बात या उपेक्षा चोट करती हैं
प्रतिफल में लौटावे गर मुस्कराहटें हार कर भी जीत होती हैं
चोटकर्ता हास्यपात्र खुद बनता व जग में असम्मानित होता हैं
लक्ष्य व्दारा फैंकी गई मुस्कान व जनसाधारण से प्रीत पाता हैं
बदले की भावना तुम्हें दुष्कर्मों  व अशांति की राह चलाती हैं
नही जीत सकते तुम यह तुम्हारी हताशा जगजाहिर कराती हैं
मान लो अपनी कमजोरी  तो सुकर्मी भीड काँधे पर बिठाती हैं
यही  प्रतिपक्ष को अशांति मिलती तुम्हें शांतिलोक ले जाती हैं
माना चुप रहना सहना कायरता पर यहाँ इंसा क्षणिक हारता है
एक क्रोधित रहे पर मिले अनेक सहयोगी गर क्या बुरा सौदा हैं
पथिक अनजाना


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