आज का सफल इंसान ----पथिक अनजाना ---460 वीं
एक सफल इंसान वर्तमान युग की इस
अजीब दुनिया में जो महान कहलाता हैं
जो
पीठ पीछे बोलता पर दर्द नही वह
खोलता,
ख्यालों में रहता कहीं डोलता हैं
चंचल
नैन मधुर मयभरी तीव्र भाषावक्ता
वस्तुत:
न आशा न निराशा वह रखता हैं
संग्रहण
आदत चाल-माहिर वाक--चातुर्य
रेंगे
जमी,पर नेतृत्व के पीछे भागता हैं
हाजिरान
दिलों में घुस जाने क्या भांपता
दिन
में उनिंदा सा रहता रात जागता हैं
बिसात
की तमाम गोंटियों को आंकता हैं
खोजी
नैन लुभावनी मुस्कान नापता हैं
पथिक
अनजाना
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