वे भूल जाती हैं ---पथिक अनजाना 463
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प्रकाश किरणों को जग में सम्मान यों ही नही मिलता
जाति-भेद रंगरूप,धन-मान-निर्धनता सब समान हैं
पिछले क्षण दिवस किसने क्या कहा वे भूल जाती हैं
आडम्बरहीन , पर तपस व शीतलता दोनों
बरसाती हैं
नही क्यों सीख लेते हम बेजुबान जीवों व प्रकृति से हैं
कुछ कदम में सीखने की बात अब निराधार बात हो गई
ङोंगी जीवन, विचार,क्रियायें पर बुद्धि जाने कहाँ खो गई
पथिक अनजाना
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