“राशि हैलो तुझे पता है कि अनिल के फादर की क्रिया आज है। दस
दिन बात उसके बेटे की शादी है।” इंदु ने कहा।
“नहीं मुझे नहीं मालूम ।”
“अच्छा, चल मैं आ रही हूँ तू मुझे मैट्रो स्टेशन
के पास मिलना ।तीन से चार बजे की क्रिया है1 मैनें तो बॉस से शॉट लीव ली है। तू भी
पहुंच, फिर मिलते हैं तीन बजे ।” इंदु ने
कहा।
“मैं शायद नहीं आ पाऊँगी।”
“अरे, नहीं डियर आ जा तुझे पता है,
आजकल अनिल कितना इंफ्लुएंशियल आदमी हो गया है। वहां उसके क्रिया में जनरल मैनेजर, प्रबंध
निदेशक और सारे टॉप बॉस आयेगें। सब से मिलने का इससे बड़ा ओकेजन नहीं मिलेगा।”
इंदु
और राशि क्रिया पर गई और चार बजे फ्री हो गई।
“चल इंदु मेरे घर चलते हैं, यहां से मेरा घर बहुत पास
है।” राशि ने कहा ।
“नहीं यार घर चलती हूँ, रोज तो सात, साढ़े सात से
पहले घर नहीं पहुंच पाती हूँ । आज मुझे घर पर जल्दी देख पिंकी बहुत खुश हो जाएगी
। ऐसे आफिस से जल्दी घर आने के मौके रोज रोज कहां मिलते हैं।”
सीमा स्मृति
आज के समय का कटु सत्य...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (29-01-2014) को वोटों की दरकार, गरीबी वोट बैंक है: चर्चा मंच 1507 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'