मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 6 जनवरी 2014

अफवाह फैलाने के लिए संचार माध्यमों का इस्तेमाल

संचार के सर्वसुलभ, वैश्विक और अहर्निश माध्यम के तौर पर सोशल नेटवर्किग साइट्स, जिसे अकसर ‘न्यू मीडिया’ की संज्ञा दी जाती है, के विकास और विस्तार ने आम आदमी को जुबान देने के साथ ही अफवाहों के कारोबारियों के हाथों में भी एक शक्तिशाली हथियार मुहैया कराया है.पिछले दो-तीन वर्षो में हमने एक तरफ अरब जगत में क्रांति का सूत्रपात करने में सोशल मीडिया की भूमिका की तारीफों के पुल बांधे थे, तो दूसरी तरफ इसी मीडिया पर फैलाये अफवाहों के कारण बेंगलुरु से उत्तर-पूर्व के लोगों के घर-बार छोड़ कर भागने की घटना भी देखी. पिछले वर्ष मुजफ्फरनगर में हुई एक झड़प को व्यापक दंगे में परिवर्तित करने में भी सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ उपद्रवी तत्वों ने अपनी भूमिका निभायी.अफवाह फैलाने के लिए संचार माध्यमों के इस्तेमाल का चलन पुराना है. कभी इसे बेनामी पर्चियों, चाय-पान की दुकानों पर होनेवाली अनौपचारिक वार्ताओं द्वारा अंजाम दिया जाता था, लेकिन आज सोशल मीडिया के अभूतपूर्व विस्तार ने इस काम को और आसान कर दिया है.बदले हुए तकनीकी परिवेश में एक तरफ आम आदमी अगर सूचनाओं का राजा है, तो दूसरी तरफ वह सूचनाओं के विविधआयामी आक्रमण के सामने जोखिमग्रस्त भी है, क्योंकि सूचना और व्यक्ति के बीच अब कोई छन्नी नहीं है. ऐसे में हम तक पहुंच रही सूचनाओं का सत्यापन जरूरी है. देवयानी खोबरागड़े का फर्जी वीडियो हमें यही सीख दे रहा है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें