चातुर्य हर जगह
नही सदैव तेरा
चातुर्य हर जगह काम आवे
नही
थोडा या अक्षयज्ञान तुझे आ राह बतावे
न
संगत हर मुसीबत में हो साथ हाथ बटावे
न
कोई तो यहाँ सुने न कोई तुझे कुछ बतावे
गर
सुकर्मों के खाते में नही कुछ बचा शेष हैं
न
भाग्य रहनुमां हमसफर न साथ दरवेश हैं
पथिक
अनजाना
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसही कहा, सुकर्म ही सच्चा साथी है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (13-01-2014) को "लोहिड़ी की शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1491) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हर्षोल्लास के पर्व लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'