माना कि ध्यान मंजिल पर रख पाने की
हो मेहनत विवेक व आत्मिक आवाज पर
खुदा के सहारे स्व विवेक से राह पावोगे
दौराने विजय राह पर अगर सामने कभी
छोटी बडी समस्यायें
आती है तुम्हारे
पास
न दो महत्व
इन राहों से
स्वतः मेरे यार
शांत रख धैर्य
यथासंभव हानि न गैर को
न मोह न याद
करें इस घडी किसी बैर को
समयानुसार तुम हंसते गुजर ही जावोगे
पथभ्रष्ट करने आती यह सखी समस्यायें
जीवन की यह धूप
हैं पाना उसे भी चाहोगे
घबरा के पसीने
से क्यों हताश हो जावोगे
अविचलित रहोगे तो मंजिल
पा ही जावोगे
पथिक अनजाना
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