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रविवार, 19 जनवरी 2014

दूर होती ममता --पथिक अनजाना --४५८ वीं पोस्ट




          दूर होती ममता   
  एक क्षेत्र एक समय व एक सेना सुपरिचित सब छोर
  गुजरती हर घडी में कब कहाँ से कौन करेगा वार और
  बचाने कौन आवेगा गिराने वाला किस शह पर छावेगा
  किसी भ्रम में फंस पहला वार कही हम न कर बैठे यहाँ
 करो कल्पना ऐसे रणक्षेत्र की कितना चौकस वीर हैं वहाँ
  कब तक खैर मनावेगें या जमी पर धाराशायी हो जावेंगें
 हर परिवार प्रमुख की  कहानी हैं मानव तभी कहलावेगें
 शारीरिक अक्षमता आर्थिक भ्रमता दूर होती ममता पावेंगे
 परिवार प्रमुख गर रहा हावी तो मानें कर्ता सुखी हो जावेंगें
             पथिक  अनजाना

 http://pathic64.blogspot.com

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