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बुधवार, 8 जनवरी 2014

शतुरमुर्ग क्यों भयभीत ? ----पथिक अनजाना ४४७ वीं पोस्ट




शतुरमुर्ग  क्यों  भयभीत ?
     माना यह राहें छोटी होती हैं इस इंसानी जिन्दगी में
      राह इक पर गर जीत तो हार दूजी राह इंतजार में हैं
      पर कुछ मस्ताने देखे ऐसे जो हंसते हुये हार जाते हैं
      पहुचते जहाँ अपूर्व जीत मिलने उनसे बेताब होती हैं
      मत परवाह करो जगहंसाई की हंसते वे होते मूर्ख हैं
     देखो बाज को फासला कभी न डराता जग नीचे पाता है
     विशाल डैनों वाला शतुरमुर्ग भयभीत ऊंचाई से होता है
     वीर कदमनिशां बनाते भीरू हर कदम शंकित होता हैं

       पथिक अनजाना

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