पसन्द आपकी
पसन्द आपकी या तो गन्दे
विचारों
को तुरन्त दफ़न करे
या
ताउम्र गन्दे विचारों के
कफन
में नफरत सब की सहें
चन्द
लम्हे साथ मेरे गुजारे
आयें
बैठे इस विषय पर विचारें
विचारों
पर नफरत मुहब्बत साथ
लोभ,लालच
अहं को हावी न करे
न
आडम्बर की गवाही को धरें
ध्यान
सदैव रहे हम गन्दे विचारों
को
दफनाये मजार नही बना रहे
हमें हर वर्ष उर्स नही चाहिये
बाद दफना ध्यान में न लाईये
पथिक
अनजाना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (12-01-2014) को वो 18 किमी का सफर...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1490
में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'