और वह खुदा हो गया ???????
प्रकृति की सुन्दरता वरदहस्त महकती मौसमौं व
हवाऔ
की बहाऱों खूबसूरत वादियो पर्वतों के नजारे
खिली
फैली धूप ठण्डकें रात्रि के सितारों की मालायें
चन्द्रमा
और सूर्य की फैलती जीवनदायनी परिक्रमायें
डालें
जहाँ नजर सुख शांति जीवों में मानो छा जाती
हो
प्रसन्न समस्त जीव मधुर रागों से मस्त हो जाते
आश्रय में पलते निवासी मानवों की नजर लग गई
दो
भागों में विभक्त इंसा इक रक्षक व दूजा भक्षक
जो
मॉं गोद खिलाती हैं मौसम व वृक्ष जीवन देते हैं
अपमानित
किया व इसने धरती को ही नरक बनाया
न
सिर झुकाता शर्मिन्दगी से और वह खुदा हो गया
बख्शा
बेशुमार न्यामतों से इंसा देव से दानव हो गया
पथिक
अनजाना
सुंदर !
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