उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बने 17 महीने गुजर गए। चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के युवाओं ने अखिलेश से जो उम्मीदे लगाई थी। अखिलेश ने उन पर पानी फेर दिया। बेशक अखिलेश जी खुशमिजाज हैं। व्यवहार कुशल हैं। कोई दुराग्रह नहीं रखते। इन सब के बाद भी वह अच्छे शासक नहीं हैं। 17 महीने के कार्यकाल में 4731 हत्या की घटनाएं घटीं। 2921 अपहरण के मामले हुए। 2614 बलात्कार की घटनाएं घटीं। डकैती-चोरी की कितनी घटनाएं घटीं, इसकी तो गणना कर पाना ही बेहद मुश्किल है। पुलिस अधिकारियों पर हमले के 46 मामले हुए। एक डिपटी एसपी जियाउल हक समेत पुलिस के कई अधिकारियों की हत्या हुई। 107 साम्प्रदायिक दंगा होने की घटनाएं घटीं। फिर भी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को यह सरकार अच्छी लग रही है। मुलायम सिंह यादव वही हैं जो खुद को डा. राम मनोहर लोहिया की वारिश बताना चाह रहे हैं और सैफई के पंडाल में बैठकर नृत्यांगनाओं के नृत्य देख रहे हैं। एक ऐसा नेता जिसके मन में देश का प्रधानमंत्री बनने की ललक हो, गरीबों की सेवा करने का जज्बा हो, उसके पास इतना समय कहां कि पंडाल में बैठक नौटंकी देखे। इस महानायका को मजफ्फरनगर के दंगा पीडि़तों के दर्द का एहसास नहीं हुआ। उत्तराखंड त्रासदी के पीडि़तों की याद नहीं आई। असम के दंगा पीडि़तों का दर्द नहीं महसूस हुआ। मथुरा के बीर जवान की पाकिस्तान सैनिकों द्वारा काटे गए सिर की घटना जेहन में नही ंकौंधी। माघ मेले में भगदड़ से मरने वालों की याद नहीं आयी। सरकार के मंत्री और विधायक लगातार सत्ता का चीरहरण कर रहे हैं। उन पर अंकुश लगाने का कोई उपाय नहीं किया। गरीब, मजलूम के बेटे राजू पाल के हत्यारे अतीक अहमद को पार्टी में शामिल कर सुल्तानपुर से लोकसभा का टिकट दे दिया। नेताजी को पाल समाज के लोगों का दर्द भूल गया। एनआरएचएम घोटाले के जनक, गरीबों का खून चूसने वाले बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी का बुलाकर लोकसभा का टिकट दे दिया। नेताजी को भष्टाचारियों के विरोध की बात याद नहीं आयी। ऐसे में नेताजी की बातों पर प्रदेश के लोग कैसे विश्वास करें।
समाजवादी पार्टी तो चुनचुन कर डाकू को ,बाहुबली को ,भ्रष्टाचारी को टिकेट देता है |
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
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