आज मीता बहुत दुखी और उदास थी ,उसकी प्यारी भाभी को अचानक दिल का दौरा पड़ा और उसके हृदय गति रुक गई,देखते ही देखते वह यह दुनिया छोड़ कर चली गई |,कितना प्यार था उन दोनों में ,सगी बहनों से भी ज्यादा ,मीता को वह दिन अच्छी तरह याद था जब उसके भैया की बारात उसकी भाभी के पीहर के घर के द्वार पर पहुंची थी |कितनी सुंदर लग रही थी वह दुलहन बनी हुई ,ऐसे लग रहा था मानो चाँद सज कर धरती पर उतर आया हो और आज तीस साल बाद वह अर्थी पर वैसी ही सुन्दरता लिए दुल्हन बनी निर्जीव सी पड़ी हुई थी |उसे इस रूप में देखते ही मीता का दिल भर आया और उसकी आँखें छलक उठी ,यही हाल उसके भैया का और उसके भतीजे भतीजियों का था ,सभी की आखों से अविरल अश्रुधारा बह रही थी .उसके साथ बिताये वह सारे पल मीता के मानस पटल पर उभर आये ,वह भाभी तो थी ही लेकिन उसने अपने प्यार से मीता का दिल जीत लिया था ,मीता को पता ही नही चला कब वह भाभी से उसकी अंतरंग सखी बन गई थी |मीता अपनी सारी बातें उसके साथ बांटती थी ,जब तक वह अपनी प्यारी भाभी को अपने दिल की हर बात बता नही देती थी उसे रात को नींद ही नही आती थी |आज यह कैसे हो गया वह उसे सदा के लिए अकेली छोड़ कर क्यों चली गई ,कहाँ चली गई ?उसे ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने उसके भीतर से कुछ खींच लिया हो |
,यह जिंदगी भी कितनी अजीब है,यहाँ किसी को भी मालूम नही कि हम कौन है ?कहाँ से इस दुनिया में आये है ? इस दुनिया में जन्म लेने के उपरांत हम सब कितने ही रिश्ते नातों में एक दूसरे के साथ बंध जाते है और फिर एक दिन सब रिश्तों को तोड़ कर न जाने हमेशा के लिए सब को रोता बिलखता छोड़ कर कहाँ चले जाते है ,विज्ञान ने भले ही धरती और आकाश के अनगिनत रहस्यों पर से पर्दा उठाया है लेकिन इस बारे में वह आज भी खामोश है ,हमारा हिन्दू धर्म पुनर्जन्म में विशवास रखता है ,गीता में भी भगवान् श्री कृष्ण ने कहा है कि आत्मा अमर है ,न तो वह जन्म लेती है और न ही मरती है ,मरता है तो यह शरीर ,नाशवान है तो यह शरीर ,जिस प्रकार मनुष्य अपने वस्त्र बदलता है ठीक उसी प्रकार आत्मा अपना पुराना शरीर त्याग कर नया शरीर धारण करती है ,लेकिन वैज्ञानिक अभी तक इसे सिद्ध नही कर पायें है ,तो क्या यह जिंदगी मात्र एक पानी के बुलबले जैसी है ,जब तक दिखाई देता है तब तक बुलबुला है ,फट गया तो सब खत्म ,क्या मरने पर सब कुछ समाप्त हो जाता है ,एक दूसरे के प्रति प्यार भरी भावनाएं ,इच्छाएँ ,आक्रोश ,जज़्बात क्या मृत्यु के बाद उन सब का अस्तित्व यहीं इसी दुनिया में समाप्त हो जाता है ?
,यह जिंदगी भी कितनी अजीब है,यहाँ किसी को भी मालूम नही कि हम कौन है ?कहाँ से इस दुनिया में आये है ? इस दुनिया में जन्म लेने के उपरांत हम सब कितने ही रिश्ते नातों में एक दूसरे के साथ बंध जाते है और फिर एक दिन सब रिश्तों को तोड़ कर न जाने हमेशा के लिए सब को रोता बिलखता छोड़ कर कहाँ चले जाते है ,विज्ञान ने भले ही धरती और आकाश के अनगिनत रहस्यों पर से पर्दा उठाया है लेकिन इस बारे में वह आज भी खामोश है ,हमारा हिन्दू धर्म पुनर्जन्म में विशवास रखता है ,गीता में भी भगवान् श्री कृष्ण ने कहा है कि आत्मा अमर है ,न तो वह जन्म लेती है और न ही मरती है ,मरता है तो यह शरीर ,नाशवान है तो यह शरीर ,जिस प्रकार मनुष्य अपने वस्त्र बदलता है ठीक उसी प्रकार आत्मा अपना पुराना शरीर त्याग कर नया शरीर धारण करती है ,लेकिन वैज्ञानिक अभी तक इसे सिद्ध नही कर पायें है ,तो क्या यह जिंदगी मात्र एक पानी के बुलबले जैसी है ,जब तक दिखाई देता है तब तक बुलबुला है ,फट गया तो सब खत्म ,क्या मरने पर सब कुछ समाप्त हो जाता है ,एक दूसरे के प्रति प्यार भरी भावनाएं ,इच्छाएँ ,आक्रोश ,जज़्बात क्या मृत्यु के बाद उन सब का अस्तित्व यहीं इसी दुनिया में समाप्त हो जाता है ?
इस बारे में कोई कुछ भी नही बता पाता कि मृत्यु के उस पार क्या है ,हाँ कभी कभार पुनर्जन्म की घटनाएँ अवश्य सुनने को मिल जाती है ,लेकिन यथार्थ तक शायद ही कोई पहुंच पाया हो,कितनी रहस्यमयी है हमारी यह जिंदगी | अभी कुछ दिन पहले मीता ने मियामी के एक मनोवैज्ञानिक डा बराईन वीस दुवारा लिखी एक पुस्तक पढ़ी थी ,जिसमे उसने पुनर्जन्म के कई सच्चे किस्सों का जिक्र किया था ,मेडिकल साइंस भले इसे नही मानती लेकिन वह मेडिकल साइंस का विधार्थी रहा था और वह खुद भी हैरान था क्योकि अपने पेशे के दौरान कई ऐसे मनोवैज्ञानिक रोगी उसकी नजर में आये जिनके तार उनके पिछले जन्म से जुड़े हुए थे | मीता सोच में डूब गई ,क्या उसकी भाभी से भी उसका कोई पिछले जन्म का नाता था याँ शायद अगले जन्म में भी वह उसे मिलेगी क्योंकि प्यार तो आत्मा से आत्मा का होता है यह शरीर तो नाशवान है |अपनी आँखों में आंसू लिए मीता और उसके घरवाले सभी मीता की प्यारी भाभी के पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा में उसे अंतिम श्रधांजलि देने के लिए निकल पड़े |
रेखा जोशी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (15-01-2014) को हरिश्चंद का पूत, किन्तु अनुभव का टोटा; चर्चा मंच 1493 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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मकर संक्रान्ति (उत्तरायणी) की शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया--