तुम्हारी शख्सियत अमीर है
----पथिकअनजाना –४६१ वी पोस्ट
ख्वाहिश हो गर खुदा की नजर में अमीर बनने की
बैठो गिनो स्वतः तुम अपने किये उन
कामों को
दुनिया के बाजार में कभी कहीं किसी शख्स
को
कर मजबूर या दे धन या सेवा से खरीदा न
हो
माना कि व्यवहारों का हिसाब रखना
मुश्किल हैं
माना हालातों से मजबूर वक्तियाँ फैसले
होते हैं
दिखावटी व्यवहारों,विचारों से संपन्न
सुकर्म नही
सुकर्म आत्मनिर्देशित न कि हृदय
निर्देशित होते
याद हो सदैव खुदाई नजर में बनना गर
अमीरहैं
काटे हर काँटा संभालो सुकर्मों को जो शमशीर
है
कहो खुदाई नजर में तुम्हारी शख्सियत
अमीर है
पथिक अनजाना
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बेहतरीन ॥
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