आज जिधर देखो फैशन का बोलबाला है
तन पर काला सूट मन भी वैसा काला है
आजकल की दुनिया फैशन स्टाइल की दीवानी हो गयी
नैतिक जीवन शैली चरित्र इसकी चकाचौंध में खो गयी
इसके जन्मदाता व पोषक शिक्षित वर्ग है
पुरानी और नयी पीढ़ी में इसके बगैर क्या फर्क है
इससे होने वाले परिणामो की चिंता क्यों करना
हमे तो आज में जीना है कल के लिए मरना
पर एक समय ऐसा जरुर आएगा जब हमे पछतावा हो जायेगा
सुनहरा भविष्य हम बना सकते थे ऐसा ख्याल घर कर जायेगा
यदि चाहते हो ऐसा हो व्यक्तित्व तुम्हारा की आदर्श बन जाये
तो सादगी को गले लगाकर उच्च विचारो वाला जीवन बिताओ
यह सदाबहार पुष्प की भांति सदैव छाया रहता है
इसकी छत्र में पलने वाला व्यक्ति सुख दुःख में सदैव एक सा रहता है
फैशन की चमक हर रोज चमकाती तो है
पर खास दिनों में अच्छा प्रभाव नहीं दिखाती है
एक जमाना था जब सादगी जीवन का अभिन्न अंग था
आजकल की भागदौड इसकी चमक बरक़रार रखने के लिए है
चाहे इसके पीछे सारी खुशियों को निगलने वाला दाग व्यक्ति लिए हैं
मेरी मानो अब भी समय है मन से सन्यासी बन जाओ
जीवन समाज इतिहास चरित्र आदर्शो से भर जाओ
तन पर काला सूट मन भी वैसा काला है
आजकल की दुनिया फैशन स्टाइल की दीवानी हो गयी
नैतिक जीवन शैली चरित्र इसकी चकाचौंध में खो गयी
इसके जन्मदाता व पोषक शिक्षित वर्ग है
पुरानी और नयी पीढ़ी में इसके बगैर क्या फर्क है
इससे होने वाले परिणामो की चिंता क्यों करना
हमे तो आज में जीना है कल के लिए मरना
पर एक समय ऐसा जरुर आएगा जब हमे पछतावा हो जायेगा
सुनहरा भविष्य हम बना सकते थे ऐसा ख्याल घर कर जायेगा
यदि चाहते हो ऐसा हो व्यक्तित्व तुम्हारा की आदर्श बन जाये
तो सादगी को गले लगाकर उच्च विचारो वाला जीवन बिताओ
यह सदाबहार पुष्प की भांति सदैव छाया रहता है
इसकी छत्र में पलने वाला व्यक्ति सुख दुःख में सदैव एक सा रहता है
फैशन की चमक हर रोज चमकाती तो है
पर खास दिनों में अच्छा प्रभाव नहीं दिखाती है
एक जमाना था जब सादगी जीवन का अभिन्न अंग था
आजकल की भागदौड इसकी चमक बरक़रार रखने के लिए है
चाहे इसके पीछे सारी खुशियों को निगलने वाला दाग व्यक्ति लिए हैं
मेरी मानो अब भी समय है मन से सन्यासी बन जाओ
जीवन समाज इतिहास चरित्र आदर्शो से भर जाओ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (07-01-2014) को पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार; चर्चा मंच 1485 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
बहुत सुंदर !
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