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बुधवार, 29 जनवरी 2014

ले परीक्षा कही हरि तो कही हर इंसा –पथिकअनजाना -469 वीं पोस्ट



कोशिशें कितनी भी करो सबको सदा यहाँ खुश रख नही सकते
कोशिशें थोडी करो सुकर्म करने की खुश खुदा को होना पडेगा
कहते क्यों हर घडी मियाँ खुदा के पीछे धो हाथ पडे रहते हो
सदा रहता मौजूद सामने हर इंसा के प्रश्न दुनियायी का जहाँ
हर को हरपल रिश्ते नाते मित्रों की परीक्षा से गुजरना होता हैं
अजीब कहानी इंसा की कही ले परीक्षा हरि तो कही हर इंसा हैं
शांति न जन्मने से पहले न जीवन दौरान न बाद मरने लिखा
पगले क्यों रखते याद कि जीवन में समझौता करना होता है
फैसला तलवार की नोक पर जीवन काट, खुश तीनों को करना
इक खुदाई दूजी इंसानी जमात व तीसरी जगह तू खुद अडा हैं
पथिक  अनजाना
http://pathic64.blogspot.com



     

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