मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

मंदमति मैमना और मेधावती बकरी

मंदमति मैमना और मेधावती बकरी

आज मैमना फिर गलती करके लौटा था। पहले तो इसने एक गढ़ा हुआ मुर्दा खोदा और फिर मुर्दे के हत्यारों के

बारे में कहा -हो सकता है इस हत्याकांड में कुछ लम्बे "हाथ "वाले भी शामिल रहे हों। लेकिन बाकी तमाम हाथ

दंगा रोकने में मशगूल थे। इसलिए मुर्दे  के रिश्ते नातों से मेरे मुआफी मांगने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है।

मेधावती ने  समझाया बेटा मुआफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता है। आदमी का खुद का बोझ उतर जाता

है। एक मरतबा यही मैमना एक संविधानिक कागज़ फाड़के प्रेस क्लब में वाह -वाही लूट आया था। मेधा के

समझाने पर मैमना सबके बीच में जाके बोला  -माँ कह रही थी बेटा ऐसे नहीं बोलते हैं। मैमने ने   तब अपनी

गलती मान  ली थी। देखें इस मरतबा क्या होता है ?

इधर मैमना कोई चुनाव भी लड़ रहा है मुर्दे के रिश्ते नाते मैमने को चुनाव में धूल चटाने की बात कर रहें हैं।

देखें ऊँट किस करवट बैठता है ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (01-02-2014) को "मधुमास" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1510 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं