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गुरुवार, 1 अगस्त 2013

कुर्सी की खातिर

सत्ता लोलुप लोगो माँ का कब तक अपमान करोगे
कुर्सी की खातिर कब तक हमको कुर्बान करोगे

वो खून हमारा करते हें शह तुम्हारी पाके
वो जेलों  मे हें पलते शाही बिरयानी खाके    
इन राज्द्रोहियो का तुम कब तक सम्मान करोगे
कुर्सी की खातिर कब तक हमको कुर्बान करोगे

शांति की उस नगरी मे जब होते रहे धमाके
तुम सोते रहे भवन मे परदे रेशमी गिराके
जागो प्यारे मनमोहन कब तक आराम करोगे
कुर्सी की खातिर कब तक हमको कुर्बान करोगे

तुम चाहो तो इक पल मे उन्हें हरा सकते हो
इन आतंकी चूहों को धूल  चटा सकते हो
अपने कर्तव्यो का  कब तक ध्यान करोगे
कुर्सी की खातिर कब तक हमको कुर्बान करोगे

................श्यामा अरोरा

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