मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 14 अगस्त 2013

तुलसी जयंती पर विशेष |



धरती पे फिर एक बार तुलसी दास जी आओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

थी राम की ही प्रेरणा श्री राम की भक्ति |
तुम राम के सेवक थे राम तेरी थी शक्ति |
फिर उसी राम नाम को घर घर में गुन्जाओ 
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

तुमने बहाई राम नाम की मृदु धारा |
जिसने दिया था प्यासी मनुजता को सहारा |
फिर वही राम नाम की गंगा को बहाओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

जन मानस था तप्त जब दुखो की धुप से |
तुमने कराया परिचय उनका राम रूप से |
फिर सच्चा रूप राम का जनता को दिखाओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

देवो के देश में अनीति कैसी हो रही |
जाने  कहाँ  मनुजता मुहं छिपाए सो रही |
मानव को उसके धर्म की पहचान कराओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

हिन्दू न रह के हिन्दू ऊँच नीच  हो गया|
कैसा  ये झगडा भाइयो के बीच हो गया ?
 प्रेम राम और लखन का फिर से याद कराओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

फिर आ जाये काश वो समय जो बीता |
हर पुरुष बने राम और नारी फिर सीता |
मर्यादा का पाठ हमको  फिर से पढाओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

हर मंत्री बने नेक और  राजा रहे सजग |
दिल एक हो भले ही वेश भूषा हो अलग |
एक देश एक भूमि है जन जन को बताओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

देखा है हमने सपना फिर से राम राज का |
लेकिन बड़ा गलत है ये दौर आज का |
तुम स्वप्न ये हमारा साकार कराओ |
भटकी हुई जनता को सही राह दिखाओ |

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल बृहस्पतिवार (15-08-2013) को "जाग उठो हिन्दुस्तानी" (चर्चा मंच-अंकः1238) पर भी होगा!
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं