महंगाई की देख दशा मन हुआ बहुत परेशान |
अपने प्रियवर से मै बोली सुनिए तो श्रीमान |
छोड़ चमक दिल्ली की आओ लौटे अपने गॉव |
यहाँ धूप कंक्रीटो की वहां ठंडी नीम की छावं |
मिटटी का वहां चूल्हा होगा और हांड़ी की भाजी |
अपने प्रियवर से मै बोली सुनिए तो श्रीमान |
छोड़ चमक दिल्ली की आओ लौटे अपने गॉव |
यहाँ धूप कंक्रीटो की वहां ठंडी नीम की छावं |
मिटटी का वहां चूल्हा होगा और हांड़ी की भाजी |
थैली वाला दूध नहीं फल सब्जी होगी ताज़ी |
गोमाता पालेंगे होगा दूध दही भरपूर |
सदा जीवन होगा होंगे आडम्बर से दूर ।
अपने छोटे से आगन में फल सब्जिया उगायेंगे ।
लेकर सांस स्वच्छ वायु में रोग मुक्त हो जायेंगे |
मक्के की रोटी के संग सरसों का साग बनायेगे ।
बैठ चबारे बड़े प्रेम से मिलजुल कर हम खायेंगे ।
पॉप सोंग का शोर नहीं वहां लोकगीत की धुन होगी ।
कर्कश ड्रम की बीट नहीं वह पायल की रुनझुन होगी ।
रम्भा-समभा छोड़ वह पर भांडे गिद्दे पाएंगे ।
अपनों के संग झूमेंगे नाचेंगे ख़ुशी मनाएंगे ।
अपनी उन यादो से अब में दूर नहीं रह पाऊँगी ।
मैं तो वापस जाउंगी बस मैं तो वापस जाउंगी ।
पतिवर बोले प्रिय तुम्हारा सुन्दर है यह सपना ।
पर वो मंजर छूट चुका है जो था तुम्हारा अपना ॥
चमक दमक माना शहरों की सबको बहुत लुभाती है ।
पर बूड़े बरगद की हमको याद बहुत ही आती है ।
मेरे प्यारे सखा बन्धुओ इतनी अरज हमारी है ।
उस धरती को मत त्यागो वो धरती सबसे प्यारी है ।
उस धरती को मत त्यागो वो धरती सबसे प्यारी है ।=---
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सूरत अभिव्यक्ति
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