बात करोगी ना मुझसे
" मत करो ना मुझे इतनी रात को फ़ोन । कहा था न मेरी तबियत ठीक नही हैं और आपको कोई फर्क नही पढता रूमानियत का आलम इस कदर छाया हैं तुम पर के तुम न वक़्त देखते हो न माहौल . बस सेल फ़ोन मिलाया और कैसी हो तुम !!!! क्या पहना हैं आज ??""
अभी ३ महीने भी नही हुए थे कामिनी की सगाई को .और दिनेश उसे देर रात को रोजाना फ़ोन करता था
अब कैसे कहे कम्मो कि उसे नही पसंद था ऐसी वैसी बाते करना
"नाराज हो गया न दीनू " अभी उसका फ़ोन आया था कि "आपकी बेटी क्या किसी और को पसंद करती हैं जो मुझसे बात नही करती बात करेंगे तभी तो एक दुसरे को समझ पाएंगे हम और तुम हो कि हमेशा अपनी ही दुनिया में गुमसुम रहना पसंद करती हो "
माँ के गुस्से वाले शब्द सुन कर कम्मो मन ही मन ड र गयी थी बड़ी मुश्किल से यह रिश्ता हुआ था वरना २ ९ साल की लड़की को कहाँ अछ्हा बिज़नेस वाला लड़का मिलता हैं ..पर उसकी द्विअर्थी बाते ............उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़
सोचते सोचते कम्मो की उंगुलियां दिनेश का नम्बर मिलाने लगी .....अब शादी तो करनी हैं आदत बनानी होगी उसको ऐसे बातो की ........
अत्यन्त हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि
जवाब देंहटाएंआपकी इस बेहतरीन रचना की चर्चा शुक्रवार 09-08-2013 के .....मेरे लिए ईद का मतलब ग़ालिब का यह शेर होता है :चर्चा मंच 1332 .... पर भी होगी!
सादर...!
शुक्रिया यशोदा जी
हटाएंbehtareen...
जवाब देंहटाएंshukriya mukesh sinha ji
हटाएंआपकी लिखी ये चन्द सुन्दर पंक्तिँया कितना कुछ कह गई ! आपको सुन्दर लेखन की शुभ कामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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