अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल ..
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल
मदन मोहन सक्सेना
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल ..
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुंदर प्रस्तुति ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंअनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.
हटाएंबहुत सुन्दर गजल ...
जवाब देंहटाएंअनेकानेक धन्यवाद .
हटाएंकुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
जवाब देंहटाएंक्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल .---
ग़ज़ल के सभी शेर बहुत उम्दा है
latest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार!
आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ
हटाएंआप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ
जवाब देंहटाएं