इस श्लोक में शुद्ध श्रृंगारिक वर्रण है। कहीं कोई बिम्ब नहीं है। बिम्बात्मक वरर्ण नहीं है यहाँ । बादल यक्ष से कहता है ,वह सृष्टि की पहली आद्या सुंदरी ऐसी होगी _
जिसका अधरोष्ठ बिम्बफल सरीखा लाल होगा जिसका कटि प्रदेश क्षीण होगा ,तथा जो बड़ी बड़ी आँखों वाली हरिणी सी चकित होकर इधर उधर देखती होगी जिसका कद भी आकार ,कदकाठी के अनुरूप लंबा होगा। नाभि अन्दर की तरफ बहुत गहरी होगी। जिसके स्तन भार की वजह से थोड़ा सा नीचे की और झुके होंगें।जो आँखें झुकाकर अलस भाव से आहिस्ता आहिस्ता चलती होगी। वह नितंभ भारणी (भारी नितम्बों वाली )चलते समय ऐसे लगेगी जैसे उसके नितम्ब भी उसके साथ साथ चल रहे हैं मचल मचल ,ठुमक ठुमक । जो वहां पर युवतियों के केलि कलापों में प्रवीण संभवतया ऐसी पहली युवती होगी जो तुम्हें सृष्टि की आदि(आद्य ) सुंदरी के रूप में दर्शित होगी।
सन्दर्भ -सामिग्री :मेहता वागीश से दूरभाष पर संवाद
प्रस्तुति :वीरुभाई
शुद्ध श्रृंगारिक भाव लिए है यह श्लोक कालिदास का
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज शुक्रवार (30-08-2013) को राज कोई खुला या खुली बात की : चर्चा मंच 1353में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आहा, कालिदास और उनका श्रृंगार वर्णन ।
जवाब देंहटाएंआहा, कालिदास और उनका श्रृंगार वर्णन ।
जवाब देंहटाएंआहा, कालिदास और उनका श्रृंगार वर्णन ।
जवाब देंहटाएंतन्वी का अर्थ छोटी और कठोर है। यह अर्थ मुझे सुश्रुत संहिता में मिला। यहाँ यह अर्थ कह सकते हैं जो कद काठ बडी़ लम्बी चौडीं और थुलथुल बदन न हो। popularity छरहरे बदन वाली।
जवाब देंहटाएंऊपर के अर्थ में शिखरि दशना का अर्थ नहीं दिया। इसका अर्थ है हिमशिखर की तरह चमकीले श्वेत दाँतों वाली।
स्तोकनम्रा स्तनाभ्याम् का अर्थ यह नहीं है कि स्तन झुके होंगे। ये तो उल्टी बात है। इसका अर्थ है स्तनो के कारण वह तनिक झुकी हुई सी होगी। वैसे भी तरुणी कि शोभा सीना ताने हुए चलने की नहीं होती जैसे आजकल चल पडा़ है। निम्न नाभि का अर्थ है नाभि का तनिक नीचे की ओर स्थित होना। यदि नाभि मध्यभाग से ऊपर हो तो, बडा़ खराब लगता है।
बी के श्रीवास्तव, रिटायर्ड आइ. ए . यस. चण्डीगढ़। mobile 9454783668
muje sakuntal priy hai😇
जवाब देंहटाएं