एक महाभारत तुमको फिर करना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
शकुनी चौसर की बाजी बिछाए बैठा हुआ है |
जीत अनीति से दुर्योधन फिर ऐंठा हुआ है |
आज पराजित फिर से उसको करना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
आज हो रही वही त्रासदी फिर देखो |
आर्तनाद कर रही द्रौपदी फिर देखो |
एक-एक आंसू का कर्ज तुम्ही को भरना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
चुप रह रह कर अपना सब कुछ खो बैठे है |
हम अपने घर से ही बेघर हो बैठे है |
उन्हें हमारा हक़ तो वापस करना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
डर कर छुप कर चुप बैठना अपनी रीत नहीं है |
तुम कायर हो या तुम्हे देश संग प्रीत नहीं है |
देश के लिए प्राण न्योछावर करना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
आओ मिल कर एक सेना हम तैयार करें |
और जाकर उस शत्रु के सर पर वार करे |
एक-एक को सवा लाख से लड़ना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
बहुत सह चुके और सितम अब न सहना |
तुम्हे कसम है और नहीं अब चुप रहना |
अन्याय का तख्ता आज पलटना होगा
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
अर्जुन का गांडीव भीम की गदा उठाओ |
सत्य युधिष्ठिर का अपना कर बढते जाओ |
अब तो रण भूमि में तुम्हे उतरना होगा |
उठो पांड्वो उठो तुम्हे अब लड़ना होगा |
...............................श्यामा अरोरा
उद्बोधक कविता....
जवाब देंहटाएं--उठो पांड्वो = उठो भारतीयो ..कहा जाय तो अधिक समीचीन होगा...
गहरा बोध लिए ... आह्वान करते हुए ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कहती रचना !!
जवाब देंहटाएंवाह कुछ ऐसे ही विचार मेरी रचना में भी हैं ।
जवाब देंहटाएंसख्त जरूरत है दुष्मन को जवाब देने की ।