उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है
जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है
अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है
अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
बह पहले बफादार थे ये कल की बात है
जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
बह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है
तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
बह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बढ़िया है भाई जी
जवाब देंहटाएंसादर-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपको रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं
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बहुत सुंदर ग़ज़ल !!
जवाब देंहटाएंवाह, वाह ।
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