हे कवि अपनी कलम के आज फिर जौहर दिखा दो ।
रचो कवितायें नयी एक क्रांति तुम फिर से जगा दो ।\
कुछ रचो ऐसा की भारत की जवानी फिर जगे ।
कुछ लिखो ऐसा की टूटे नींद तम तम में भगे ।
लेखनी की नोंक से तुम व्यग्रता उर की बढ़ा दो
रचो कवितायें नयी एक क्रांति तुम फिर से जगा दो ।
क्या हुआ भारत को देखो सो रहा है वो ।
आलस्यता में राष्ट्र गरिमा खो रहा है वो ।
चेतना के बेगुल से तुम सुप्त भारत को जगा दो ।
रचो कवितायें नयी एक क्रांति तुम फिर से जगा दो ।
भारती की वाणी हो माँ भारती के लाल ।
भारती की चेतना माँ भारती के भाल ।
वाणी की टंकार से भारत मही को तुम गूंजा दो ।
रचो कवितायें नयी एक क्रांति तुम फिर से जगा दो ।
………………………. श्यामा अरोरा
बहुत सुन्दर प्रेरणा दायक अभिव्ताक्ति!
जवाब देंहटाएंlatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
क्या बात है ...सुन्दर अति सुन्दर ...ओजपूर्ण ..
जवाब देंहटाएंवीर रस के कवियों को अब अपना दायित्व निभाना होगा और जनता के सोये हुए जोश को जगाना होगा !!
जवाब देंहटाएंओजपूर्ण सुन्दर रचना !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज शुक्रवार (09-08-2013) को मेरे लिए ईद का मतलब ग़ालिब का यह शेर होता है :चर्चा मंच 1332 ....में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
“भारत की जवानी फिर जगे”
जवाब देंहटाएं“भारत को देखो सो रहा है”
“राष्ट्र गरिमा खो रहा है”
बहुत निराशाजन स्थिति बयान कर दी आपने।
क्या वाकई युद्ध की नौबत आ गयी है?
बहरहाल आपकी कविता भा गयी है...!!
निराशा में आशा की किरण जगाने का प्रयास है |
हटाएंऔर आज स्थिति है क्या सभी को आभास है |
bahut sundar
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