आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
सूना ये संसार हम सब तुझ को रहे पुकार |
चीर हरण करके तुमने सखियों को सबक सिखाया |
चीर किये कम आज सखी ने अपना मान घटाया |
चीर बिना न वसन सुहावे कह दो कृष्ण मुरार |
आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
गौवें तेरी कोई न पाले आकर उन्हें संभाल|
दूध यूरिया वाला छूटे असली मिले गोपाल |
घर घर में कर दो फिर तुम माखन मिश्री का प्रचार |
आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
नाग कालिया का फन कुचलो संसद में जो बैठा |
लेकर वोट हमारे देखो हम पर ही है ऐंठा|
संसद की यमुना से निकालो फेंको पर्वत पार |
आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
बनी दामिनी लुटे द्रौपदी कोई न चीर बढाये |
अँधा राजा मौन मंत्री कोई सुने न हाय !
बहन द्रौपदी की तुम सुन लो फिर से करुण पुकार |
आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
बड़ी दुष्टता महाभारत का फिर से बिगुल बजाओ |
अर्जुन को फिर से तुम गीता का उपदेश सुनाओ |
हारे फिर अधर्म धर्म की हो जाए जय जय कार |
आना आना रे गिरधारी तुझ बिन सूना ये संसार |
सूना ये संसार हम सब तुझ को रहे पुकार |
Simply superb.
जवाब देंहटाएंthanx
हटाएंबहुत खूब |अच्छी रचना |जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट-“लीजिए !कलम आपके हाथ में हैं....”
बहुत सुंदर और सामयिक ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ...सटीक
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