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सोमवार, 19 अगस्त 2013

रक्षाबंधन

भेज रही हूँ राखी भईया ,
बांधना इसको हाथ में |
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

ईश्वर को कर याद हाथ में ,
राखी तुम बधवा लेना |
और याद कर मुझको थोड़ा ,
मीठा भी तुम खा लेना |
देर न करना इसे बांधना ,
जल्दी उठ कर प्रात में |
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

शगुन 500 रुपयों का तुम,
मनी आर्डर से भिजवा देना
एक सूट या साड़ी का,
उपहार भी साथ में ला देना
जिसे पहन इतराऊगी मै,
फिर यू ही हर बात में|
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

ये कच्चे धागे का बंधन,
पक्के जोड़ बनाता है
मन में हो यदि स्नेह तो,
गैर भी अपना सा बन जाता है
भीग गयी हे आँखे मेरी,
बह गयी में जज्बात में |
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

दे दो मुझको वचन वचन,
का मान भी तुम्हे निभाना है |
कभी कष्ट जो मुझ पर आये ,
दौड़ के तुमको आना है |
ये मर्यादा राखी की न ,
कहती हूँ  निज स्वार्थ में |
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

ये रक्षा का बंधन सदा ,
तुम्हारा ये रखवाला है |
बहनों का आशीष स्नेह ,
से भरी हुई यह माला है |
ये पवित्र रिश्ता है हर एक ,
भगिनी और हर भ्रात में |
और मिठाई भी तो मैंने ,
भेजी इसके साथ मे |

 श्यामा अरोरा 

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